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उच्च माध्यमिक विद्यालय में हिंदी व्याख्याताओं के पद स्वीकृत करने की मांग

हनुमानगढ़/जयपुर.

हनुमानगढ़ जिले के सबसे बड़ा गांव और बड़ी उप तहसील फेफाना के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में हिन्दी विषय के दो व्याख्याताओं के पद सृजित करने की मांग की गई है। ग्रामीणों ने इसे लेकर मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री और शिक्षा निदेशक माध्यमिक शिक्षा बीकानेर को ज्ञापन भेजा है। ज्ञापन में बताया गया कि इस विद्यालय में 1959 से हिन्दी व्याख्याता का एक ही पद स्वीकृत है, उस समय केवल कला संकाय ही संचालित था।

1962 में विज्ञान संकाय व 1975 में वाणिज्य संकाय प्रारम्भ किए गए। 2012 में कृषि संकाय खोला गया, विज्ञान संकाय में जीव विज्ञान, कला संकाय में भूगोल और अंग्रेजी साहित्य खुलने के कारण छात्रों की संख्या बढ़ती जा रही है, लेकिन इसके अनुपात में नए पद स्वीकृत नहीं होने के कारण उच्च माध्यमिक कक्षाओं को तृतीय श्रेणी अध्यापक पढ़ा रहे हैं।

2015 में वरिष्ठ अध्यापक पद किए समाप्त
प्रदेश में सन् 2015 में स्टाफिक पेटर्न के नाम पर वरिष्ठ अध्यापक हिन्दी, वरिष्ठ अध्यापक विज्ञान,वरिष्ठ अध्यापक सामाजिक विज्ञान के पद समाप्त कर दिए गए थे। कक्षा नौ व दस का अध्यापन कार्य व्याख्याता करवाएंगे। जिससे व्याख्याताओं पर नया कालांष भार बढ़ गया, जबकि हिन्दी व्याख्याता के कालांश भार उच्च कक्षाओं का पहले से ही अधिक है। स्टाफिक पेटर्न 2015 में उन सभी विद्यालयों में हिन्दी व्याख्याताओं के दो पद स्वीकृत हैं, जहां हिन्दी साहित्य संचालित है। लेकिन, उप तहसील फेफाना में तीन संकाय संचालित होने के बाद भी हिन्दी व्याख्याता का एक ही पद स्वीकृत है, जबकि मापदण्डानुसार हिंदी व्याख्याता के तीन पद स्वीकृत होने चाहिए। स्थानीय राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में एक कला संकाय संचालित होते हुए भी हिन्दी व्याख्याता के दो पद स्टाफिक पेटर्न 2015 के दिशा-निर्देशों के अन्तर्गत स्वीकृत किए गए। लेकिन, इस बहुसंकायी विद्यालय में हिन्दी व्याख्याता का एक ही पद स्वीकृत कर उससे काम चलाया जा रहा है।

तृतीय श्रेणी शिक्षक उच्च कक्षाओं को पढ़ा रहें
कक्षा नौ और दस में एक-एक वर्ग एवं कक्षा 11 के तीन वर्ग तथा कक्षा 12 में तीन वर्ग संचालित है। प्रति सप्ताह हिंदी व हिंदी अनिवार्य एवं हिंदी साहित्य के कुल कालांश 70 है, जो शिक्षा विभाग ने एक हिंदी व्याख्याता के जिम्मे कर रख है, लेकिन एक सप्ताह में कुल कालांश ही 48 होते है। शिक्षा विभाग के नियमानुसार व्याख्याता को अधिकतम 33 कालांश ही दिए जा सकते हैं तो शेष 37 कालांशों में शिक्षण कौन कराएगा, यह विभाग के अधिकारी नहीं जानते हैं। इस मजबूरी के चलते विद्यालय के तृतीय श्रेणी शिक्षक ही उच्च कक्षाओं में पढ़ा रहे हैं । ग्रामीणों ने बताया कि हिंदी व्याख्याता के दो पद और स्टाफिक पेटर्न दिशा-निर्देश 2015 के अनुसार स्वीकृत करने के लिए शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों को बहुत बार अवगत करवाया जा चुका है, लेकिन कोई भी समस्या पर ध्यान नहीं दे रहा है। ज्ञापन में विद्यालय में हिन्दी व्याख्याताओं के दो नये पदों को सृजित करने के साथ-साथ पूर्व में बंद किए गए इतिहास विषय को पुनः प्रारम्भ करने के लिए  इतिहास का भी एक और पद स्वीकृत करने की मांग की है।

विद्यालय का नामांकन एक नजर में
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में कक्षा 1 से 5 तक विद्यार्थी 88,कक्षा 6 से 8 122,कक्षा 9 से 10 तक विद्यार्थी 173,कक्षा 11 व 12 के तीनों संकायों में विद्यार्थी 270 अध्ययनरत् है।

कक्षाओं के वर्ग और कालांश एक नजर में
इस विद्यालय में वरिष्ठ अध्यापक हिन्दी का पद स्वीकृत नहीं है। कक्षा 9 व 10 में प्रति सप्ताह कालांश 12  होते हैं। कक्षा 11 व 12 में अनिवार्य हिन्दी के प्रति सप्ताह कालांश 36 तथा कक्षा 11 व 12 में हिन्दी साहित्य के 22 कालांश प्रति सप्ताह निर्धारित है। कक्षा 9 से 12 तक हिन्दी विषय के कुल न्यूनतम निर्धारित कालांश 70 है जबकि एक व्याख्याता प्रति सप्ताह 33 कालांश ले सकता है। अन्य कालांशों में तृतीय श्रेणी अध्यापक पढातें है जो कि विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ से कम नहीं है।

हिन्दी व्याख्याता के दो पद स्वीकृत वाले विद्यालय
हनुमानगढ़ जिले में जाखड़ावाली,बालिका मक्कासर, बालिका उप तहसील फेफाना,बालिका पीलीबंगा, बालिका टिब्बी, अजीतपुरा, बडोपल, भादरा, डाबड़ी, दीपलाना, ढाबा, धान्धूसर, फतेहगढ़, गढी छानी, टाउन, किशनपुरा दिखनादा, ललानियां, मैनावाली, मक्कासर, रंगदेषर, नेठराना, नूकेरा, लीबंगा, गरिया, सुरेवाला, थालड़का, उतरादाबास, भूकरका, रावतसर, डबलीराठान, बालिका टाउन, पडितावाली, बालिका भादरा, बालिका नोहर आदि शामिल है।

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