नेता प्रतिपक्ष : न पायलट, न गहलोत, भंवर मार ले गए बाजी
जयपुर.
विधानसभा सत्र में सरकार को घेरने के मुद्दों को लेकर जूली बोले- ‘पूर्ववर्ती सरकार की योजनाओं के नाम बदलने की बात हो या फिर योजनाएं बंद करने की बात हो, ये सब मुद्दे सदन में उठाए जाएंगे। इसके साथ ही महिला, युवा और वंचित वर्ग के मुद्दे भी सदन में उठाएंगे।’ उन्होंने आगे कहा कि प्रदेश की भजनलाल सरकार पर्ची की सरकार है और पहले से ही घिरी पड़ी है। उन्होंने कहा, ईडी को हथियार बनाकर कांग्रेस नेताओं को डराया जा रहा है।
कांग्रेस की ओर से नेता प्रतिपक्ष बनाए गए टीकाराम जूली अनुसूचित जाति वर्ग से आते हैं और पिछली सरकार में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थे। टीकाराम जूली को कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव भंवर जितेंद्र सिंह का नजदीकी माना जाता है। पार्टी सूत्रों के अनुसार नेता प्रतिपक्ष पद के लिए अशोक गहलोत और सचिन पायलट गुट के बीच चल रही खींचतान के चलते पार्टी ने एक तीसरा विकल्प चुना और भंवर जितेंद्र सिंह के नजदीकी माने जाने वाले टीकाराम जूली को इस पद पर नियुक्त कर दिया। इस पद के लिए पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से आदिवासी नेता महेंद्रजीत सिंह मालवीय का नाम आगे बढ़ाया गया था जबकि सचिन पायलट गुट पूर्व मंत्री और पंजाब कांग्रेस के प्रभारी रह चुके हरीश चौधरी को इस पद पर देखना चाह रहा था। हालांकि खुद सचिन पायलट भी इस पद के दावेदार थे लेकिन पार्टी ने उन्हें छत्तीसगढ़ का प्रभारी बना दिया है ऐसे में वे इस पद की दौड़ से बाहर हो गए थे। दोनों गुटों के बीच अपने-अपने नेताओं के नाम को लेकर लॉबिंग चल रही थी, ऐसे में पार्टी ने एक तीसरा नाम चुन लिया।