मध्यप्रदेश

MP में स्वामी विवेकानंद जी की यह रंगोली 18 हजार स्क्वेयर फीट में बनाई जा रही है, 4 हजार किलो रंगों का होगा इस्तेमाल

भोपाल
मुख्यमंत्री मोहन यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश सरकार हर वर्ग के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन को मिशन के रूप में लागू करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ध्येय मंत्र GYAN पर ध्यान (ग़रीब, युवा, अन्नदाता और नारी) के सशक्तिकरण पर रहा है। उनके सशक्त एवं विजनरी नेतृत्व में प्रदेश सरकार का विशेष फोकस युवाओं के सशक्तिकरण पर है।

मुख्यमंत्री यादव लॉन्‍च करेंगे प्रदेश व्यापी युवा शक्ति मिशन
मुख्यमंत्री डॉ. यादव की पहल पर प्रधानमंत्री श्री मोदी के ध्येय मंत्र को धरातल पर लाने के उद्देश्य से प्रदेश के युवाओं को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने, उनमें नेतृत्व क्षमता विकसित कर उनकी ऊर्जा को रचनात्मक दिशा देने के लिये "स्वामी विवेकानंद युवा शक्ति मिशन" प्रारंभ किया जा रहा है। युवा शक्ति मिशन युवाओं के लिए तो विशेष है ही यह मध्यप्रदेश को भी गौरवांवित करने वाला है। इस दिन मध्य प्रदेश के नाम एक और वर्ल्ड रिकॉर्ड बनने जा रहा है।
स्वामी विवेकानंद जयंती यानी 12 जनवरी को मुख्यमंत्री डॉ. यादव युवाओं के लिए मिशन लॉन्च करेंगे, इसके साथ ही भोपाल के शौर्य स्मारक में विश्व की सबसे बड़ी 3-D रंगोली भी आकर्षण का केंद्र होगी।
स्वामी विवेकानंद जी की यह रंगोली 18 हजार स्क्वेयर फीट में बनाई जा रही है। इसका आकार 225X80 है। इसे बनाने में 4 हजार किलो रंगों का इस्तेमाल किया गया है।
रंगोली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी दिखाई देंगे।
इस रंगोली को बनवाने के पीछे सीएम डॉ. यादव का उद्देश्य युवाओं को हर प्रकार से प्रेरित करना है। वे इस रंगोली से युवाओं को संवाद, सामर्थ्य और समृद्धि का संदेश देंगे।

इंदौर की शिखा और उनकी टीम बना रही रंगोली
इस 3-डी रंगोली को बनाने में 48 घंटे का समय लगा है, इस रंगोली को इंदौर की जानी-मानी कलाकार शिखा शर्मा जोशी और उनकी टीम तैयार कर रही है।
शिखा शर्मा देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर की ब्रांड एंबेसेडर हैं। वे नेपाल और थाईलैंड में उत्कृष्टता पुरस्कार जीत चुकी हैं।
जयपुर के इंटरनेशनल यूथ फेस्टिवल में भी उन्हें गोल्ड मेडल मिला था।
शिखा दसवीं क्लास से बच्चों को कला सिखा रही हैं. वे विश्व के करीब 70 हजार बच्चों को कला सिखा चुकी हैं। इन्हें रंगोली क्वीन के नाम से जाना जाता है।

 

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