राजनीति

पार्टी के कार्यक्रमों से दूर-दूर क्यों हैं कमलनाथ? कांग्रेस ने कोई कार्रवाई नहीं की

भोपाल
 मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ और उनके बेटे छिंदवाड़ा से सांसद नकुलनाथ कोई नया विकल्प तलाश रहे हैं? राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है। अटकलों का बाजार तब गर्म हुआ, जब मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद से हटाए जाने के बाद कमलनाथ राहुल गांधी से मिलने नहीं पहुंचे। इन अटकलों को पहली बार तब और बल मिला, जब मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने उनसे बंगले पर जाकर मुलाकात की।

कमलनाथ भारत जोड़ो ने न्याय यात्रा में शामिल होने नहीं गए। इस बात इस बात से साबित हो गया कि गांधी परिवार कांग्रेस और कमलनाथ के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। पूरी कांग्रेस अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के निमंत्रण को अस्वीकार कर रही है तो कमलनाथ छिंदवाड़ा में पूजा-पाठ में व्यस्त हैं। इसके साथ ही कमलनाथ और नकुलनाथ मध्य प्रदेश के नए प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के शपथ ग्रहण कार्यक्रम में भी शामिल नहीं हुए। विधानसभा में भी सबसे आखरी में शपथ लेने वाले विधायकों में कमलनाथ ही थे। उन्होंने 8 जनवरी को विधायक पद की शपथ ली है।

क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने वाले हैं कमलनाथ

अब राजनीतिक गलियारों में इस बात ने बल पकड़ लिया है कि कमलनाथ जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने वाले हैं। बहुत जल्द ही मुलाकात के लिए प्रयास कर रहे हैं। उधर, राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कमलनाथ के मन में कुछ तो जरूर चल रहा है? क्योंकि वह पिछले कई दिनों से राजनीतिक रूप से सक्रिय नहीं दिखाई दे रहे हैं और भाजपा सरकार पर उस तरह से हमलावर नहीं है, जिस तरह उन्हें होना चाहिए।

भारत विश्व की सबसे बड़ी अध्यात्मिक शक्ति

 दो दिन पहले कमलनाथ के द्वारा किया गया ट्वीट कांग्रेस पार्टी की लीक से हटकर है। उन्होंने कहा था कि भारत विश्व की सबसे बड़ी आध्यात्मिक शक्ति है, भारत सनातन धर्म का देश है। हमारी यही भावनाएं हम सबको बल और शक्ति देती हैं।

अब जबकि पूरी की पूरी कांग्रेस अयोध्या की राम मंदिर मुद्दे पर कुछ भी सकारात्मक बोलने से बच रही है। ऐसे में कमलनाथ का बयान बहुत कुछ कह रहा है। छिंदवाड़ा सांसद नकुलनाथ भी कथित रूप से कांग्रेस से परे विकल्प तलाश रहे हैं।

कथा सुनने पहुंचे कमलनाथ

तीन दिन पहले कमलनाथ भोपाल में साध्वी ऋचा गोस्वामी से भागवत कथा सुनने पहुंचे। उन्होंने सनातन धर्म की जोरदार तारीफ की और कहा कि भारत विश्व की आध्यात्मिक महाशक्ति है। सनातन धर्म हमें सदा मानवता की सेवा करने की शिक्षा देता है।
सनातन की कर रहे तारीफ

युवा पत्रकार संदीप तिवारी कहते हैं कि जब पूरी कांग्रेस सनातन धर्म पर नकारात्मक बातें करती है। ऐसे में कमलनाथ सनातन का डंका बजाने की बात कर रहे हैं, इसे एक बड़े सिग्नल के रूप में लिया जा सकता है।

राहुल गांधी की यात्रा से दूरी

सबसे दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस के प्रमुख नेता राहुल गांधी इन दिनों भारत जोड़ो न्याय यात्रा जोर-जोर से निकाल रहे हैं। पूरी मध्य प्रदेश कांग्रेस और उसके नेताओं के द्वारा यात्रा से संबंधित सोशल मीडिया में कई पोस्ट की जा रही है। राहुल गांधी और केंद्रीय कांग्रेस के सोशल मीडिया पोस्ट को री पोस्ट किया जा रहा है, लेकिन पिछले कई दिन बीत गए हैं। कमलनाथ ने कांग्रेस और राहुल गांधी की एक भी पोस्ट को रिपोस्ट नहीं किया है। जब वह मध्य प्रदेश प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष थे तो लगातार यह काम बखूबी अंजाम दे रहे थे।

विकल्प ढूंढ रहे हैं कमलनाथ?

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस के केंद्रीय और मध्य प्रदेश के नेतृत्व से दूरी, सनातन धर्म की तारीफ और भाजपा नेताओं से करीबी, कमलनाथ को भाजपा की ओर जाने के संकेत को प्रबल कर रही है। हालांकि, मध्य प्रदेश कांग्रेस और कमलनाथ के मीडिया सलाहकार प्रधानमंत्री से मुलाकात की खबरों को 'अफवाह' और 'साजिश' करार दे रहे हैं।

राम प्रेम बना चर्चा का विषय

कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन में शामिल होने से इनकार कर रहा है, लेकिन कमलनाथ और उनके बेटे नकुलनाथ ने छिंदवाड़ा में भगवान राम के नाम का जिक्र करते हुए पर्चे भी बांटे हैं। लोगों से कम से कम 108 बार भगवान राम लिखने की अपील की है। कागज पर भगवान राम का नाम 4.31 करोड़ बार लिखना है, जिसे 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर अयोध्या भेजा जाएगा। गौरतलब है कि कमलनाथ कांग्रेस की परंपरा से अलग अपनी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। वे कहां जाकर रखेंगे, इस बात का खुलासा तो आने वाले दिनों में ही हो पाएगा।

पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने लगाए हैं बड़े आरोप

कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता आलोक शर्मा ने दो सप्ताह पहले दिए एक इंटरव्यू में कमलनाथ पर बड़े गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि कमलनाथ के पिछले 5-6 वर्ष के कार्यकाल को देखकर लगता है कि वह खुद नहीं चाहते थे कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बने। टिकट वितरण में उन्होंने अहंकार दिखाए। उन्होंने कांग्रेस के नेताओं को काम भी नहीं करने दिया। साथ ही कहा है कि उनके घर ईडी-सीबीआई क्यों नहीं पहुंचती है।

दिल्ली है चुप

कथित रूप से कहा जा रहा है कि इस बयान के बाद कमलनाथ के समर्थक नेता ने दिल्ली से कार्रवाई की मांग की थी। वहीं, दिल्ली ने इस पर कोई एक्शन नहीं लिया। साथ ही कोई बयान भी वहां से नहीं आया है। इन घटनाओं से यह संकेत साफ हैं कि कमलनाथ के प्रति भारी आक्रोश अंदर ही अंदर पनप रहा है, जिसे वह भांप चुके हैं। शायद इसीलिए भी अब अपना नया रास्ता को खोजने निकल रहे हैं।

कमलनाथ के नेतृत्व में बुरी हार

गौरतलब है कि नवंबर 2023 में मध्य प्रदेश में विधानसभा के चुनाव हुए थे। चुनाव के पहले तक कांग्रेस बड़े-बड़े दावे कर रही थी। कमलनाथ जबरदस्त तरीके से सत्ता में आने की बात कर रहे थे, लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद भाजपा 163 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत से सरकार में आई, जबकि कांग्रेस महज 66 सीटों में ही सीमित कर रह गई। इसके बाद हर की सारी जिम्मेदारी कमलनाथ के सिर पर आ गई। जबकि कमलनाथ और उनकी टीम ने हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ दिया।

इस बयान के कुछ रोज बाद ही कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने कमलनाथ को बताए बिना ही उन्हें अध्यक्ष पद से हटा दिया और जीतू पटवारी की ताजपोशी हुई। इसके बाद से कमलनाथ लगातार कांग्रेस के हासिए पर चले गए। उन्होंने कांग्रेस से दूरी बना ली।
'मैं भी जाऊंगा अयोध्या लेकिन', राम मंदिर के सवाल पर जीतू पटवारी ने कही बड़ी बात

राहुल ने कमलनाथ को नहीं दिया समय

बताया जा रहा है कि चुनाव हारने के बाद में कमलनाथ ने राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात के लिए समय भी मांगा था। लेकिन उन नेताओं ने कमलनाथ से मिलने के लिए समय नहीं दिया। जबकि नवनियुक्त कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने राहुल गांधी सहित सभी बड़े नेताओं से मिलकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर दिया। अब छिंदवाड़ा के अलावा कमलनाथ की कहीं भी पूछ परख नहीं हो रही है। ऐसे में भाजपा से उनकी करीबी के चर्चे बड़ा संदेश दे रहे हैं।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button