मध्यप्रदेश

कांग्रेस से आए नेताओं ने भी बिगाड़ा भाजपा जिलाध्यक्षों के चयन का समीकरण

भोपाल।

मध्य प्रदेश में जिलाध्यक्षों के चयन का राजनीतिक समीकरण बिगाड़ने के पीछे भाजपा के दिग्गज नेता तो हैं हीं, कांग्रेस से आए नेताओं के कारण भी चुनाव प्रभावित हुआ है। ग्वालियर-चंबल में जिलाध्यक्ष के चयन में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का हस्तक्षेप रहा है, तो सागर में मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और पारुल साहू की वजह से राजनीतिक समीकरण बिगड़े हैं।

इंदौर में मंत्री तुलसी सिलावट और संजय शुक्ला का दबाव रहा, तो गुना, नीमच, मंदसौर भी यही हाल है। यहां यह सभी नेता कांग्रेस से भाजपा में आए हैं, जिन्हें मूल भाजपाई आज भी स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में मूल भाजपाई और आयातित नेताओं के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है।

संघ से प्रस्तावित नाम भी दरकिनार
संघ ने जो नाम प्रस्तावित किए थे, उनको भी दरकिनार किया गया और दिग्गज नेताओं के दबाव में सूची तैयार कर ली गई। अब केंद्रीय नेतृत्व ने कमान अपने हाथ में ले ली है। दिल्ली में राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व संगठन पर्व की केंद्रीय पर्यवेक्षक सरोज पांडेय के साथ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने दिल्ली में जिलाध्यक्षों के नामों पर विचार विमर्श किया। बताया जा रहा है कि नामों पर सहमति बन गई है। जल्द ही जिलाध्यक्षों की सूची जारी की जा सकती है। हालांकि नामों सूची में बड़े शहरी जिले अभी रोके जाएंगे। जहां विवाद स्थिति नहीं है, उन जिलों के अध्यक्षों की ही घोषणा की जाएगी। इधर, यह भी बताया जा रहा है कि मध्य प्रदेश का नया भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया आगे न बढ़े, इस हिसाब से जिलाध्यक्षों की घोषणा कर दी जाएगी। पहली सूची 35 से 40 नामों की आ सकती है।

दो जनवरी से  अब तक जिलाध्यक्ष नहीं चुन पाई भाजपा
दो जनवरी से लगातार जिलाध्यक्षों के नामों पर मंथन किया जा रहा है। पार्टी प्रदेश के 60 संगठनात्मक जिलों में से 35 से 40 जिलों के अध्यक्षों के नामों पांच जनवरी को घोषित करने वाली थी, लेकिन छह जनवरी को पुन: सूची पर विचार-विमर्श किया गया। मुख्यमंत्री आवास पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, विष्णुदत्त शर्मा, हितानंद ने दो घंटे तक मंथन किया था और पार्टी पदाधिकारियों द्वारा मंगलवार तक सूची जारी करने की बात कही जा रही थी। इन पांच दिनों में प्रदेश नेतृत्व ने बैठक कर सामाजिक और राजनीतिक समीकरण बैठाते हुए सूची तैयार की। लेकिन कुछ नामों पर सहमति नहीं बनने से यह जारी नहीं हो सकी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button