मध्यप्रदेश

त्याग पूर्वक उपभोग ही पर्यावरण संरक्षण का उपाय है: श्री दीपक जी साधु

देवास
सृष्टि सेवा संकल्प जिला देवास का दो दिवसीय शीत शिविर 4 जनवरी सायं 5 बजे से 5 जनवरी सायं 5 बजे तक वन भवन परिसर देवास में संपन्न हुआ। शीत शिविर के उद्घाटन सत्र का शुभारंभ सृष्टि सेवा संकल्प-उज्जैन संभाग के माननीय संभाग वृक्षाचार्य श्री दीपक जी साधु(जावरा), शिविर पालक व संभाग शिक्षण प्रमुख श्री राम जी शर्मा द्वारा गुरु अथर्ववेद व वृक्ष का पूजन और दीप प्रज्वलन कर किया गया।

शीत शिविर की दिनचर्या प्रथम दिवस 4 जनवरी सायं 5 बजे से रात्रि 10:30 बजे विश्राम तक और द्वितीय दिवस 5 जनवरी प्रातः 5:30 बजे जागरण से सायं 5 बजे तक विभिन्न कार्यक्रमों में शिक्षार्थियों ने उत्साह के साथ भाग लिया।
प्रथम दिवस रात्रि आनंद सभा में अंताक्षरी, प्रश्नमंच, प्रतिभा प्रदर्शन व तात्कालिक भाषण प्रतियोगिता।

द्वितीय दिवस प्रातः मैदान पर योग, प्राणायाम, आसन, वृक्षों से संबंधित विभिन्न नए खेल(वृक्ष की खोज, वृक्ष श्रृंखला, लता, बैल, सज्जन-दुर्जन, पंचवटी, जड़-तना-डाली-फल आदि), वृक्ष समूह के व्यावहारिक प्रशिक्षण में वृक्षोत्सव कार्यशाला, पर्यावरण संरक्षण पर, बौद्धिक सत्र, चर्चा सत्र, योजना सत्र आदि कार्यक्रम हुए।

#वृक्षोत्सव_कार्यशाला के अंतर्गत दो वृक्ष समूह (बसामन मामा व अमृतादेवी विश्नोई) बनाए गए व उन्हें समाज से सामग्री एकत्रित करके वृक्षोत्सव मनाने का टास्क दिया गया। जिसमें दोनों समूहों ने आसपास के घरों से पूजन सामग्री व साजो सज्जा हेतु सामग्री एकत्रित की व उत्सव स्थान पर उपलब्ध संसाधनों का उपयोग कर बहुत सुंदर तरीके से वृक्षोत्सव(वृक्ष बसंतोत्सव, वृक्ष पूजन उत्सव) कार्यक्रम मनाये।

शिविर के उद्घाटन सत्र में उज्जैन संभाग वृक्षाचार्य श्री दीपक जी साधु(जावरा) ने संगठन स्थापना की पृष्ठभूमि, उद्देश्य, संगठन का विस्तार /संगठन की यात्रा व संगठन द्वारा किए जा रहे कार्यों के साथ साथ उन्होंने बताया कि आज संगठन मध्यप्रदेश सहित सात राज्यों में कार्यरत है। जिस प्रकार की परिस्थितियां आज बन रही है उन सबको देखकर आज पर्यावरण संरक्षण के लिए संवेदना व समर्पण के साथ समाज जागरण के लिए अधिक से अधिक समय देकर कार्य करने की आवश्यकता है। त्याग पूर्वक उपभोग ही पर्यावरण संरक्षण का उपाय है। और हम सभी जीवन के अपने अपने लक्ष्य तक प्रकृति के पास रहकर ही जल्दी पहुँच सकेंगे। रामचरित मानस में प्रभु श्रीराम जी भी सर्वप्रथम प्रकृति से ही माता सीता का पता पूंछते है। और पक्षीराज जटायु अर्थात प्रकृति ही माता सीता का पता प्रभु श्रीराम जी को बताते है। – "हे खग मृग हे मधुकर श्रेणी तुम देखी सीता मृगनैनी"

शिविर संचालन टोली का परिचय हर्षपाल जी भाटी ने कराया। शिविर पालक श्रीराम जी शर्मा( उज्जैन संभाग शिक्षण प्रमुख), शिविर मुख्य शिक्षक श्री अंकित सिंह जी, शिविर बोद्धिक प्रमुख श्री कमलेश जी विश्वकर्मा, शिविर प्रबंधक श्री घनश्याम जी माहेश्वरी, वैभव जी पालीवाल आदि कार्यकर्ताओ ने शिविर का पूर्ण संचालन संभाला।

शिविर के समापन सत्र में शिविर पालक एवं उज्जैन संभाग शिक्षण प्रमुख श्री राम जी शर्मा ने बताया कि सुंदर समाज के द्वारा ही सुंदर सृष्टि का निर्माण किया जा सकता है इसलिए समाज जागरण के माध्यम से मनुष्य के अंदर संवेदना रूपी बीज का रोपण करना ये सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। पहले स्वयं परिश्रम की भट्टी में तपना पड़ता है फिर जाकर समाज हमारी बात सुनेगा इसलिए हम जहाँ है वहीं से कार्य करना शुरू करें। समाज आपको देखकर स्वयं आपके कार्य से जुड़ेगा। अपने व अपनों के लिए जीना ये छोटा कार्य है लेकिन दूसरों के लिए जीना ये बड़ा कार्य है इसलिए हम सभी जितना हो सके दूसरों के लिए जीने का प्रयास करे। आज जितने भी महापुरुष है उनके जीवन को पढ़ेंगे तो एक ही प्रेरणा मिलेगी कि जीवन तो दूसरों के लिए ही होता है।

समापन सत्र में उज्जैन संभाग वृक्षाचार्य श्री दीपक जी साधु(जावरा) ने कार्यकारिणी के #नवीन_दायित्व घोषणा भी की।
#देवास_जिला_कार्यकारिणी-
जिला वृक्षाचार्य- श्री किशोर जी कनासे
जिला संयोजक- श्री अंकित सिंह जी
जिला संगठन मंत्री – श्री कमलेश जी विश्वकर्मा
जिला प्रचार प्रमुख- श्री वैभव जी पालीवाल
जिला विस्तारक- श्री घनश्याम जी माहेश्वरी
#देवास_नगर_इकाई_कार्यकारिणी-
नगर संयोजक- श्री हर्षपाल जी भाटी
नगर सह संयोजक- श्री शुभम जी बैस
नगर बौद्धिक प्रमुख- श्री मृत्युंज्य सिंह जी
नगर प्रचार प्रमुख- श्री गोविंद जी धाकड़
नगर संपर्क प्रमुख- श्री देवेंद्र जी पवार
विधार्थी प्रमुख- श्री हिमांशु जी त्रिवेदी
ग्रामीण फतनपुर इकाई संयोजक- श्री कपिल जी पटेल बनाये गए। उपरोक्त जानकारी जिला प्रचार प्रमुख श्री वैभव जी पालीवाल ने दी।

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