मध्यप्रदेश

एमपी विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित हुए वेतन-भत्ता संशोधन विधेयक, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष खुद भरेंगे अपना इनकम टैक्स

भोपाल
मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री और मंत्रियों के बाद अब विधानसभा के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष वेतन-भत्ता सहित अन्य परिलब्धियों पर लगने वाले आयकर को स्वयं भरेंगे। अभी तक इसका भुगतान सरकार करती थी।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल पर पहले मंत्रियों और बाद में विधानसभा अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष ने अपना आयकर स्वयं भरने की घोषणा की थी। इसे नियम में लाने के लिए विधानसभा में संसदीय कार्य विभाग द्वारा प्रस्तुत संशोधन विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किया गया।

संशोधन विधेयक प्रस्तुत किया

संसदीय कार्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने पहले विधानसभा अध्यक्ष-उपाध्यक्ष और फिर नेता प्रतिपक्ष वेतन भत्ता संशोधन विधेयक प्रस्तुत किया। इस पर चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस विधायक ओमकार सिंह मरकाम ने कहा कि नियम बनाकर इसे बंधनकारी नहीं बनाया जाना चाहिए।

यह अध्यक्ष के विवेक पर छोड़ा जाएगा कि आयकर वह स्वयं भरना चाहते हैं या सरकार भरे। सबकी परिस्थिति एक जैसी नहीं होती है। भौगोलिक दृष्टि से विधायक जितनी दूर से आते हैं और आप जितना वेतन भत्ता देते हैं, उतना तो डीजल में चला जाता है।

मुख्य सचिव का वेतन अध्यक्ष से भी ज्यादा

कुछ विधायकों का व्यवसाय है, वह थोड़ा भार संभाल लेते हैं पर सब ऐसे नहीं हैं। दिल्ली सहित अन्य प्रांतों में विधायकों का वेतन अधिक है, इस पर विचार करें। इसके साथ ही यह भी देखें किन्हें कितना वेतन-भत्ता मिल रहा है। मुख्य सचिव को वेतन हमारे अध्यक्ष से भी अधिक है।

सर्वसम्मति से विधेयक को पारित किया गया

सरकार को अध्यक्ष की सुविधाओं पर ध्यान देना चाहिए। इस पर अध्यक्ष ने कहा कि हमने और नेता प्रतिपक्ष ने स्वयं ही घोषित किया है कि अपना आयकर स्वयं भरेंगे, इसलिए नियम प्रक्रिया के अंतर्गत विधेयक प्रस्तुत किया गया है। बाद में इसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया।

सदन में उठे उठाएं गए ये मुद्दे

बीजेपी विधायक ने उठाया अवैध कॉलोनी का मुद्दा

बीजेपी विधायक विष्णु खत्री ने अपने विधानसभा क्षेत्र में अवैध कॉलोनियों के निर्माण का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि कृषि भूमि पर कॉलोनियां काटी जा रही हैं। इससे कृषि का रकबा लगातार कम हो रहा है। इसके साथ ही यहां रहने वाले लोगों को मूलभूत सुविधाओं का भी लाभ नहीं मिल पा रहा। नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि अवैध कॉलोनी विकसित न हो इसके लिए सरकार लगातार काम कर रही है। जहां से सूचना मिलती है वहां कार्रवाई की जाती है। सरकार और कठोर कानून बनाएगी, ताकि सजा और जुर्माना ज्यादा हो।

नेता प्रतिपक्ष ने उठाए ये सवाल

नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने आरोप लगाया कि सरकार कांग्रेस विधायकों को विकास की राशि देने में भेदभाव कर रही है। इसके विरोध में कांग्रेस विधायक अपना वेतन वापस करेंगे। इधर, नल जल योजना को लेकर कांग्रेस के प्रदर्शन और आरोपों पर बीजेपी ने भी पलटवार किया। विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा कि आज नल जल योजना के माध्यम से घर-घर पानी पहुंच रहा है। कांग्रेस के समय बहुत दिक्कत होती थी। कांग्रेस ने सिर्फ भ्रष्टाचार ही किया है। आज बंटी-बबली की जोड़ी घूम रही है। शर्मा ने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को बंटी-बबली बताया। इधर, कैग रिपोर्ट को लेकर भी कांग्रेस ने सरकार को घेरा। कांग्रेस विधायक महेश परमार ने कहा कि अस्पताल, मेडिकल कॉलेज, ग्रामीण विकास , स्कूल शिक्षा हर जगह भ्रष्टाचार हो रहा है। कैग की रिपोर्ट हर साल आती है। उसमें खुलासे होते हैं। इस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए।

1. मध्य प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र 2024 में कौन-कौन से महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए गए हैं?

मध्य प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र 2024 में अनुपूरक बजट, खाद संकट, अवैध कॉलोनियों के निर्माण, नल जल योजना, और भ्रष्टाचार के आरोप जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए गए हैं।

2. अनुपूरक बजट कब पेश किया गया और कितना था?

मध्य प्रदेश में अनुपूरक बजट 17 दिसंबर 2024 को पेश किया गया, जिसका कुल आकार 22,224 करोड़ रुपये था।

3. शीतकालीन सत्र में किस विधेयक को पास किया गया?

सत्र के चौथे दिन, विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के वेतन भत्ते से संबंधित संशोधन विधेयक पास किया गया, जिसके तहत वे अपनी आयकर की रकम खुद जमा करेंगे।

4. अवैध कॉलोनियों के मुद्दे पर क्या चर्चा हुई?

बीजेपी विधायक विष्णु खत्री ने कृषि भूमि पर अवैध कॉलोनियों के निर्माण का मुद्दा उठाया। नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि सरकार अवैध कॉलोनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है और कानून को और सख्त किया जाएगा।

5. “MP Assembly Winter Session 2024” में कांग्रेस ने किन मुद्दों पर सरकार को घेरा?
कांग्रेस ने नल जल योजना, विकास निधि में भेदभाव और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार को घेरा। विधायक महेश परमार ने कैग रिपोर्ट का हवाला देते हुए सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए।

 

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