रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रूस में नौसेना के नए युद्धपोत ‘आईएनएस तुशील’ की कमिशनिंग में हो रहे शामिल
मॉस्को।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सोमवार को रूस में नौसेना के नवीनतम, बहुउद्देश्यीय, स्टील्थ-गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट ( युद्धपोत) 'आईएनएस तुशील' का जलावतरण करेंगे। रक्षा मंत्री कलिनिनग्राद के यंत्र शिपयार्ड में 'युद्धपोत, परियोजना 1135.6' के तहत एक उन्नत 'क्रिवाक III श्रेणी फ्रिगेट' का जलावतरण करेंगे। भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी, भारत और रूस वरिष्ठ अधिकारी भी इस दौरान उपस्थित रहेंगे। रक्षा मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, रक्षा मंत्री 8-10 दिसंबर तक रूस की आधिकारिक यात्रा पर रहेंगे।
राजनाथ सिंह और रूसी रक्षा मंत्री आंद्रे बेलौसोव 10 दिसंबर को मास्को में सैन्य और सैन्य तकनीकी सहयोग पर भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग (आईआरआईजीसी-एमएंडएमटीसी) की 21वीं बैठक की सह-अध्यक्षता करेंगे। दोनों नेता रक्षा के क्षेत्र में भारत-रूस के बीच बहुआयामी संबंधों की समीक्षा करेंगे। वे आपसी हितों के समकालीन क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान करेंगे। इसके अलावा, राजनाथ सिहं दूसरे विश्व युद्ध के दौरान मारे गए सोवियत सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए मॉस्को में ‘अज्ञात सैनिक की समाधि/द टॉम्ब ऑफ अननोन सोल्जर’ पर श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। वह भारतीय समुदाय के सदस्यों से भी बातचीत करेंगे। क्रिवाक श्रेणी के छह युद्धपोत पहले से ही सेवा में हैं। इनमें सेंट पीटर्सबर्ग के बाल्टिस्की शिपयार्ड में निर्मित 'तलवार श्रेणी' के तीन जहाज और कैलिनिनग्राद के यंतर शिपयार्ड में निर्मित 'टेग श्रेणी' के तीन जहाज शामिल हैं। 'आईएनएस तुषिल' इस सीरिज का सातवां और दो अपग्रेडेड एडीशनल फॉलोऑन जहाजों में से पहला होगा। इसके लिए भारत सरकार और नौसेना ने अक्टूबर 2016 में जेएससी रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। अधिकारियों ने बताया कि 125 मीटर लंबा और 3,900 टन वजनी यह जहाज घातक है। इसमें युद्धपोत निर्माण की सर्वोत्तम पद्धतियों के अलावा रूसी और भारतीय अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी का प्रभावशाली मिश्रण है। पोस्ट कंस्ट्रक्शन और तैयार होने के बाद, जनवरी 2024 से जहाज को कई परीक्षणों से गुजराना पड़ा है। इसमें फैक्ट्री समुद्री परीक्षण, राज्य समिति परीक्षण और अंत में, एक भारतीय एक्सपर्ट टीम द्वारा डिलीवरी स्वीकृति परीक्षण शामिल है।
परीक्षण के दौरान, जहाज ने 30 नॉट (55 किमी प्रति घंटे) से अधिक की प्रभावशाली गति दर्ज की। यह लगभग युद्ध के लिए तैयार स्थिति में भारत पहुंचेगा। नौसेना के एक अधिकारी के अनुसार, 'तुशील' नाम का अर्थ है 'सुरक्षा कवच' और इसका शिखर 'अभेद्य कवच' (अभेद्य कवच) का प्रतिनिधित्व करता है। अपने आदर्श वाक्य 'निर्भय, अभेद्य और बलशील' के साथ, यह जहाज देश की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा के लिए भारतीय नौसेना की अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक है। भारतीय नौसेना एक्सपर्ट्स और सेवर्नॉय डिजाइन ब्यूरो के सहयोग से, जहाज की स्वदेशी सामग्री को 26 प्रतिशत तक बढ़ाया गया है। कमीशन होने पर, आईएनएस तुशील पश्चिमी नौसेना कमान के तहत भारतीय नौसेना के 'स्वॉर्ड आर्म', पश्चिमी बेड़े में शामिल हो जाएगा।