भारत और कनाडा के रिश्तों में तल्खी बढ़ती ही जा रही, कनाडा का नया पैंतरा, भारत पर लगाया एक और बेतुका इल्जाम
कनाडा
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने पिछले साल संसद में खड़े होकर खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत के खिलाफ जहर उगला था। तब से भारत और कनाडा के रिश्तों में तल्खी बढ़ती ही जा रही है। अब एक बार फिर उन्होंने संसद में खड़े होकर भारत के खिलाफ टिप्पणी की है। ट्रूडो ने एक कनाडाई आउटलेट में छपी रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया दी है जिसमें आरोप लगाया गया है कि भारत ने 2022 में कनाडा की विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी के नेता के चुनाव में हस्तक्षेप किया था। ट्रूडो ने इसे चिंताजनक कहा है।
ट्रूडो ने बुधवार को हाउस ऑफ कॉमन्स में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, "कंजरवेटिव लीडर की रेस में भारतीय हस्तक्षेप के आरोप चिंताजनक हैं लेकिन ये नए नहीं हैं।" सोमवार को सरकारी फंडिंग से चलने वाली आउटलेट CBC न्यूज ने अपनी एक रिपोर्ट में भारत पर ये आरोप लगाए हैं। इसमें अज्ञात स्रोतों का हवाला देते हुए दावा किया गया है कि भारतीय एजेंटों ने पैट्रिक ब्राउन को उम्मीदवारों की रेस से हटाने की कोशिश की। फिलहाल पैट्रिक ब्रैम्पटन के ग्रेटर टोरंटो एरिया टाउनशिप के मेयर हैं। सरकार समर्थक आउटलेट ने सूत्रों के हवाले से बताया कि भारतीय वाणिज्य दूतावास के प्रतिनिधियों ने ब्राउन के अभियान की सह-अध्यक्ष मिशेल रेम्पेल गार्नर पर पद छोड़ने का दबाव बनाया। उन्होंने उस साल जून में संन्यास ले लिया था।
कंजर्वेटिव पार्टी के चुनाव की बाते करे तो उस चुनाव में मौजूदा कंजर्वेटिव पार्टी के नेता पियरे पोलीवरे ने आसानी से जीत हासिल की थी और उन्हें लगभग 70 प्रतिशत वोट मिले थे। पोलीवरे इस पद के लिए हमेशा से एक मजबूत दावेदार रहे थे और ब्राउन को कभी भी इस पद के लिए टक्कर में नहीं देखा जा रहा था।
इस बीच इन आरोपों से जुड़े व्यक्तियों ने इन आरोपों का खंडन किया है। गार्नर ने सीबीसी न्यूज की रिपोर्ट को लेकर कहा, "मैंने अपनी इच्छा से पूरी तरह से ब्राउन के अभियान से खुद को अलग किया था। किसी भी मामले में मुझे किसी भी तरह से, किसी भी समय, किसी के द्वारा भी मजबूर नहीं किया गया। यह कहना कि मैं किसी के बहकावे में आया यह हास्यास्पद है।"। वहीं सोमवार को एक बयान में ब्राउन ने कहा, "मेरे पास यह मानने का कोई कारण नहीं है कि इस तरह के हस्तक्षेप के जरिए 2022 के कंजर्वेटिव पार्टी ऑफ कनाडा के चुनाव के अंतिम परिणाम बदल गए।"