शाहदरा से शंटी का टिकट पक्का, राम निवास गोयल की जगह ‘एंबुलेंस मैन’ ले आए केजरीवाल
नई दिल्ली
मशहूर समाजसेवक और पद्म श्री विजेता जितेंद्र सिंह शंटी आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए हैं। लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार कराने, बीमार लोगों को एंबुलेंस सुविधा उपलब्ध कराने वाले और खुद 100 से अधिक बार रक्तदान करके रिकॉर्ड बना चुके शंटी शाहदरा सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से विधायक रह चुके हैं। राम निवास गोयल के इस्तीफे के बाद उन्हें शाहदरा से टिकट मिलना तय है।
शंटी शहीद भगत सिंह सेवा दल (एसबीएस) फाउंडेशन के संस्थापक भी हैं। उन्हें एंबुलेंस मैन के नाम से भी जाना जाता है। वह 2013 में शाहदरा सीट से विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं। दो बार पार्षद भी रह चुके हैं। हालांकि, पिछले चुनाव में उन्हें राम निवास गोयल के सामने हार का सामना करना पड़ा था। शंटी के आम आदमी पार्टी में शामिल होने से ठीक पहले राम निवास गोयल का लेटर सामने आया, जिसमें उन्होंने अरविंद केजरीवाल को सूचना दी है कि उन्होंने चुनावी राजनीति से अलग होने का फैसला किया है।
अरविंद केजरीवाल ने शंटी की तारीफ करते हुए कहा, ‘जितेंद्र सिंह शंटी ना केवल दिल्ली और देश बल्कि विदेशों में भी चर्चित हैं। 29-30 सालों से समाज सेवा में हैं। उन्हें एंबुलेंस मैन जैसे नाम से जाना जाता है। खासकर उन्होंने जिस तरह मृत लोगों को सम्मान दिया है, उनके बारे में कोई नहीं सोचता। क्योंकि उनसे वोट तो मिलता नहीं है। उनका ख्याल तो सच्चा और अच्छा इंसान ही रख सकता है। अभी तक 70 हजार डेड बॉडी का वह अंतिम संस्कार करा चुके हैं। खासकर कोरोना काल में जब लोग अपने घर के लोगों का शव नहीं लेते थे, उस वक्त शंटी जी ने शवों का अंतिम संस्कार कराया। इस वजह से उन्हें खुद भी कोरोना हो गया। उस वक्त जब पूरा परिवार कोरोना से पीड़ित था वह मिशन में लगे रहे। उन्हें पद्म श्री से नावाज गया। वह बीमार लोगों को एंबुलेंस उपलब्ध कराते हैं, रक्तदान का कैंप लगाते हैं।'
शंटी ने कहा कि केजरीवाल की अपील पर वह राजनीति में दोबारा आए हैं। उन्होंने कहा, 'मुझे जब लावारिस लाशों का संस्कार करते हुए अरविंद केजरीवाल जी का फोन आया कि मैं भी इस यज्ञ में आहूति देना चाहता हूं तो मैंने सोचने का समय मांगा। मेरे दिल, जमीर, परिवार, साथियों ने कहा कि शंटी जी आपके और उनके काम में समानता है। वो पैदा होने से लेकर बुजुर्गों तक सभी जरूरतमंदों की जरूरत पूरा कर रहे हैं। जब लोग जाने लगते हैं, खासकर जो प्रवासी यहां योद्धा के रूप में काम करते हैं, जब मौत हो जाती है तो लकड़ी भी नसीब नहीं होती। जीवन वाला काम ये संभाल रहे हैं और मृत्यु वाला मैं संभाल लूंगा। हम दोनों भगत सिंह के अनुयायी हैं।' शंटी ने बताया कि वह 106 बार रक्तदा कर चुके हैं और उनके नाम रिकॉर्ड दर्ज है।