मध्यप्रदेश

फसलों के बचाव को लेकर कृषि वैज्ञानिक किसानों को दे रहे जरूरी सलाह

भोपाल

मध्य प्रदेश में सर्दी अपने पूरे शबाब पर है. सर्दी के तीखे तेवरों से जन-जीवन के साथ ही पशु-पक्षी और फसलों पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है. प्रदेश भर में   घना कोहरा रहा. तापमान में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है. प्रदेश के 12 शहरों में अधिकतम तापमान 20 डिग्री से नीचे रहा. बदलते मौसम को देख कृषि वैज्ञानिकों ने पाले की संभावना जताई है. साथ ही कृषि वैज्ञानिकों ने पाले से बचाव के उपाय भी बताए हैं.

पाला के पूर्वानुमान की जानकारी देते हुए उप संचालक कृषि केके पांडे ने बताया कि जिस दिन आसमान पूरी तरह से साफ हो, हवा में नमी की अधिकता हो, कड़ाके की सर्दी हो, शाम के समय हवा में तापमान ज्यादा कम हो और जमीन का तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस या इससे कम हो जाए, तो ऐसी स्थिति में हवा में मौजूद नमी भाप बनकर ठोस अवस्था में (बर्फ) परिवर्तित हो जाता है. इसके साथ ही पौधों की पत्तियों में मौजूद पानी संघनित होकर बर्फ के कण के रूप में परिवर्तित हो जाते हैं, जिससे पत्तियों की कोशिका भित्ती क्षतिग्रस्त हो जाती है, जिससे पौधे की जीवन प्रक्रिया के साथ-साथ उत्पादन पर भी प्रभाव पड़ता है.

जानें पाला से बचाव के उपाय
ऐसी स्थिति में किसान सावधानी अपनाकर फसलों को बचा सकते हैं. पाले की संभावना होने पर खेत की हल्की सिंचाई कर देना चाहिए. इससे मिट्टी का तापमान बढ़ जाता है और नुकसान की मात्रा कम हो जाती है. सिंचाई बहुत ज्यादा नहीं करनी चाहिए, सिर्फ इतनी सिंचाई हो कि खेत गीला हो जाए. वहीं रस्सी का उपयोग भी पाले से काफी सुरक्षा प्रदान करता है. इसके लिए दो व्यक्ति सुबह-सुबह एक रस्सी को उसके दोनों सिरों से पकड़ कर खेत के एक कोने से लेकर दूसरे कोने तक फसल को हिलाते चलते हैं. इससे फसल पर रात का जमा पानी गिर जाता है और फसल की पाले से सुरक्षा हो जाती है.

ऐसे करें पाला नियंत्रण
वैज्ञानिकों द्वारा रसायनों का उपयोग करके भी पाले को नियंत्रित किया जा सकता है. घुलनशील सल्फर 0.3 से 0.5 प्रतिशत का घोल सल्फर 0.3 से 0.5 प्रतिशत और बोरान 0.1 प्रतिशत घोल और गंधक के एक लीटर तेजाब को 1000 लीटर पानी में मिलाकर छिड़कने से लगभग दो सप्ताह तक फसल पाले के प्रकोप से मुक्त रहती है.

दरअसल, खराब मौसम का असर शिवपुरी जिले में भी देखा जा रहा है। जिसके चलते शिवपुरी जिले में पिछले तीन-चार दिनों से मौसम की दशा को देखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक मैदान में उतर आए है। साथ ही स्थानीय कृषकों, पशुपालकों और ग्रामीणों को तकनीकी परामर्श दे रहे हैं जिससे किसानों को फसलों के नुकसान से बचाया जा सके।

एग्रीकल्चर एक्सपर्ट कर रहे मदद

कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ एमके भार्गव ने बताया कि इस समय बार-बार मौसम परिवर्तन हो रहा है। ठंड का दौर जारी है। इसके अलावा कोहरा और धुंध छाई हुई है। ऐसे मौसम में फसलों को नुकसान पहुंचता है। मौसम के बदलाव से फसलों का किस तरह से बचाव किया जाए इसके बारे में पूरी जानकारी किसानों को दी जा रही है।
इस तरह से करें फसलों की रक्षा

एक्सपर्ट ने बताया कि फसलों को शीत लहर से बचाने के लिए हल्की सिंचाई करें या खेत में नमीं बनाये रखें। रात के समय खेत के उत्तर-पश्चिम दिशा में सावधानीपूर्वक कचरा-कूड़ा इस प्रकार जलायें कि धुआं होता रहे। साथ ही वहां के सूक्ष्म जलवायु में सुधार हो सके। मौसम साफ होने पर हवाएं नहीं चलने की स्थिति में तापमान गिरने की अधिक संभावना रहती है। ऐसी दशा में पाला गिरता है। इस स्थिति में फसलों को पाले से बचाव के लिए घुलनशील गंधक 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी के मान से घोल बनाकर फसलों पर छिड़काव करें।

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