झांसी अग्निकांड: डिप्टी सीएम ने ऐक्शन का दिया आदेश, मंत्री के पहुंचने से पहले रंगरोगन होने पर बवाल
झांसी
झांसी में देर रात महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में लगी आग के बाद 10 बच्चों की मौत हो गई। इतनी बड़ी संख्या में हुई नवजात की मौत के बाद परिजनों में चीख-पुकार मची थी। अस्पताल में आग लगने के बाद डॉक्टर और स्टाफ इधर-उधर दौड़ रहा था, लेकिन प्रशासन को न तो परिजनों की चीत्कार सुनाई दे रही थी और न ही मेडिकल कॉलेज में हुए इस हादसे का मंजर दिखाई दे रहा था। वह तो केवल शनिवार को होने वाले डिप्टी सीएम के दौरे की तैयारियों में लगा था। झांसी मेडिकल कॉलेज में हुए दर्दनाक हादसे के बीच शुक्रवार की देर रात ही प्रशासन की बेशीर्मी की एक तस्वीर भी साफ दिखाई दी। दो कर्मचारी मंत्री के स्वागत के लिए रंगरोगन करते नजर आए। दोनों सड़क के किनारे चूना डाल रहे थे। इसका वीडियो जब सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो विपक्ष ने कई सवाल खड़े कर दिए।
झांसी हादसे के बीच रंगरोगन की जानकारी जब डिप्टी सीएम तक पहुंची तो वह ऐक्शन में आए। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने झांसी पहुंचने से पहले सड़कों पर चूना डाले जाने के मामले पर जिलाधिकारी को कार्रवाई के लिए आदेश दे दिया। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा जिन लोगों ने चूना डालने आदि जैसा कृत्य किया है वो स्वीकार योग्य नहीं है। डिप्टी सीएम ने जिलाधिकारी झांसी को ऐसे लोगों को चिन्हित करके कार्रवाई के आदेश दिए हैं। ब्रजेश पाठक आधी रात को ही झांसी रवाना हो गए थे। रात भर सफर करके झांसी पहुंचे। परिजनों से मिले। सांत्वना व्यक्त की। जांच के आदेश दिए। रेस्क्यू कराए गए बच्चों को बेहतर इलाज के निर्देश दिए।
दोषियों पर होगी सख्त कार्रवाई
उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने शनिवार को कहा, 'घटना में 10 नवजात बच्चों की मौत हो गई है। झांसी मेडिकल कॉलेज के अन्य वार्ड में 16 बच्चों का इलाज जारी है।' उन्होंने बताया कि यह घटना बिजली के शॉर्ट सर्किट के कारण हुई और उन्होंने आश्वासन दिया कि दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। शनिवार को 'एक्स' पर बृजेश पाठक ने कहा, 'झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन चिकित्सा कक्ष (एसएनसीयू वार्ड) में अग्निकांड की हुई दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना की त्रिस्तरीय जांच के निर्देश दिए गए हैं। प्रथम दृष्टया आयुक्त झांसी एवं उपमहानिरीक्षक झांसी द्वारा 24 घंटे में जांच कर रिपोर्ट प्रेषित करने के निर्देश जारी किए हैं। अग्निशमन विभाग द्वारा भी जांच की जाएगी। साथ ही घटना की मजिस्ट्रेट जांच के निर्देश भी दिए गए हैं। झांसी में पाठक ने पत्रकारों से कहा, 'हम बच्चों के साथ उनके परिजनों की भी पहचान कर रहे हैं।
मामले की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिए गए हैं। घटना कैसे हुई, इसके क्या कारण थे और किसकी ओर से लापरवाही हुई, इसका पता लगाया जाएगा। सबसे पहली चुनौती घायल बच्चों को गुणवत्तापूर्ण उपचार देना है।' महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज, झांसी के प्राचार्य डॉ. नरेंद्र सेंगर ने कहा, 'एनआईसीयू वार्ड में शॉर्ट सर्किट के कारण दुखद घटना हुई। यहां एनआईसीयू वार्ड में 25 बच्चों का उपचार किया जा रहा है, 16 बच्चे मेडिकल कॉलेज में उपचार करा रहे हैं, जो किसी तरह से झुलसने या दम घुटने से पीड़ित नहीं हैं, बल्कि उन्हें जो बीमारियां हैं, उनका उपचार हो रहा है। एक बच्चे का जिला अस्पताल में उपचार हो रहा है, सात बच्चों का अन्य अस्पतालों में उपचार हो रहा है। एक बच्चे को छुट्टी दे दी गई है।' उन्होंने कहा कि अस्पताल में उपचार करा रहे बच्चों को झुलसने या दम घुटने से कोई परेशानी नहीं है, उन्हें समुचित उपचार दिया जा रहा है।
क्या बोले परिजन
झांसी मेडिकल कॉलेज में हुए हादसे की खबर पाकर परिजन अस्पताल पहुंचे और अस्पताल में भर्ती अपने-अपने बच्चों के स्वास्थ्य की जानकारी ली। हालांकि जिन परिजनों के बच्चों की इस हादसे में मौत हो गई वह बेसुध नजर आए। एक परिजन ने बताया हमारा नवजात एक महीने से यहां भर्ती था। कल ऑपरेशन हुआ और उसके बाद बच्चे को यहां (NCIU) भर्ती कर लिया गया। कल रात करीब 10 बजे आग लगी, हम बच्चे को निकालने के लिए दौड़े लेकिन हमें रोक दिया गया…बाद में काफी देर तक तलाश करने के बाद भी हम बच्चे को नहीं ढूंढ पाए। बाद में हमें बताया गया कि हमारा बच्चा आग में मर गया…मेरे पति ने जाकर बच्चे को देखा।
मृतक शिशुओं के परिवारों को पांच-पांच लाख रुपए की आर्थिक सहायता
झांसी जिले में आग लगने से कम से कम 10 नवजात शिशुओं की मौत के कुछ घंटों बाद, यूपी सरकार ने शनिवार को मृतकों के माता-पिता को पांच-पांच लाख रुपये की वित्तीय सहायता देने की घोषणा की। यूपी सरकार द्वारा शनिवार को जारी एक बयान में कहा गया है कि राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने झांसी मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू में हुई घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है। बयान में कहा गया है, 'घटना में असामयिक मृत्यु का शिकार हुए नवजात शिशुओं के माता-पिता को मुख्यमंत्री के निर्देश पर मुख्यमंत्री राहत कोष से पांच-पांच लाख रुपये और घायलों के परिजनों को 50-50 हजार रुपये की सहायता प्रदान की जा रही है।'