देश

भारत में इस साल ठंड के तेवर रहेंगे तीखे, मौसम विभाग की चेतावनी आ गई !

नई दिल्ली

भारत में इस साल ठंड के तेवर कैसे रहेंगे इसको लेकर मौसम विभाग की चेतावनी आ गई है। आईएमडी के मुताबिक इस साल देश में कड़ाके की ठंड पड़ने के आसार हैं। इसके मुताबिक इस दौरान हालात बहुत चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं। मौसम विभाग के मुताबिक हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में सर्दी काफी ज्यादा सता सकती है। गौरतलब है कि मौसम ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। उत्तर भारत के शहरों में सुबह धुंध की चादर में लिपटी नजर आ रही है। इसके अलावा दिन और रात के तापमान में ठीक-ठाक अंतर महसूस होने लगा है।

क्यों कहा जा रहा कि पड़ेगी कड़ाके की ठंड
इसकी वजह है अक्टूबर-नवंबर के दौरान ला नीना के एक्टिव होने की संभावना। IMD के अनुसार अक्टूबर-नवंबर में ला नीना की स्थिति बनने की 71% संभावना है। हालांकि मौसम विभाग का यह भी कहना है कि ठंड कितनी पड़ेगी इसका सटीक पूर्वानुमान नवंबर में ही लग पाएगा। ला नीना के इसी महीने एक्टिव होने पर दिसंबर और जनवरी के महीने में कड़ाके की ठंड पड़ सकती है। ला नीना की वजह से आमतौर पर तापमान में गिरावट आती है। सर्दियों में भी इसकी वजह से अधिक बारिश होती है।

ला नीना का प्रभाव कितना
ला नीना के दौरान पूर्वी हवाएं समुद्र के पानी को पश्चिम की ओर धकेलती हैं। इस वजह से समुद्र की सतह ठंडी हो जाती है। आईएमडी के अनुमान के मुताबिक ला नीना अक्टूबर और नवंबर के बीच एक्टिव होने की संभावना 71 प्रतिशत है। IMD के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र के अनुसार अक्टूबर-नवंबर में ला नीना की स्थिति बनने की 71% संभावना है। जब ला नीना होता है, तो उत्तर भारत, खासकर उत्तर-पश्चिमी भारत और आसपास के मध्य क्षेत्र में तापमान सामान्य से कम हो जाता है।

क्यों पड़ेगी अधिक ठंड
मौसम विभाग के मुताबिक भारत में अधिक ठंड का संबंध ला-नीना से है। ला-नीना मौसम की एक खास अवस्था है। अगर ला-नीना बनता है तो भारत के उत्तरी, उत्तर-पश्चिमी और दिल्ली-एनसीआर समेत मध्य क्षेत्र में आमतौर पर ठंड का प्रकोप देखने को मिलता है। हालांकि ला-नीना का पूरा प्रभाव आने वाले महीने में समझ में आएगा।

क्या है ला-नीना
स्पेनिश में ला-नीना का मतलब होता है छोटी लड़की, यह अल-नीनो का उलटा होता है। जब ला-नीना बनता है तो यह काफी ज्यादा ठंड ले आता है। यह प्रशांत महासागर की सतह पर ठंड को बढ़ाता है। इस दौरान बारिश खूब होती है और तापमान में कमी आती है। ला-नीना विभिन्न वैश्विक जलवायु परिवर्तनों से जुड़ा हुआ है। जैसे-अटलांटिक में अधिक तूफान, दक्षिण अमेरिका में सूखा, और दक्षिण पूर्व एशिया और ऑस्ट्रेलिया में गीला मौसम। यह अप्रैल और जून के बीच शुरू होता है, अक्टूबर से फरवरी तक मजबूत होता है। यह 9 महीने से लेकर 2 साल तक कहीं भी रह सकता है।

भारत पर कितना असर
सितंबर में आईएमडी ने भविष्यवाणी की थी कि ला नीना के चलते भारत में कड़ाके की सर्दी पड़ सकती है। यह उम्मीद की जाती है कि उत्तरी क्षेत्रों, विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू और कश्मीर को ठंड के तापमान का सामना करना पड़ेगा, जो संभावित रूप से 3 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है। तेज बरसात के साथ खतरनाक ठंड सर्दियों की फसल को भी नुकसान पहुंचा सकती है।

फिलहाल भारत में फॉग शुरू हो चुका है। उत्तरी भारत, जिसमें जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली में सुबह धुंध भरी हो रही है। इसके अलावा आने वाले कुछ दिनों में देश के उत्तर और मध्य हिस्सों में मिनिमम टेम्प्रेचर में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। वहीं, अगले दो दिन में पूर्वी भारत में तापमान में तीन से चार डिग्री की गिरावट आ सकती है। वहीं, अगले कुछ दिन के अंदर तापमान में काफी बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button