देश

दलितों के खिलाफ हिंसा और उत्पीड़न के केस में 101 लोगों को दोषी ठहराया गया था, अब 99 लोगों को दी जमानत

बेंगलुरु
कर्नाटक हाई कोर्ट ने एससी-एसटी ऐक्ट में दोषी करार दिए गए 101 लोगों में से एक साथ 99 लोगों को जमानत दे दी है। एक महीने पहले ही राज्य के माराकुंबी गांव में दलितों के खिलाफ हिंसा और उत्पीड़न के केस में 101 लोगों को दोषी ठहराया गया था। अब इन्हें अदालत ने इस आधार पर राहत दी है कि यह मामला 10 साल पुराना है, लेकिन दोषी ठहराए गए इन लोगों ने केस पर असर डालने वाली कोई हरकत नहीं की है। ऐसे में इनके जेल से बाहर रहने से केस पर कोई खास असर नहीं होगा। इसी को आधार बनाते हुए कोर्ट ने इन लोगों को 1 लाख रुपये के मुचलके पर जमानत दे दी।

हाई कोर्ट की धारवाड़ बेंच के जस्टिस एस. हरीश कुमार और जस्टिस टीजी शिवशंकर गौड़ा इन लोगों की सजा को निलंबित कर दिया है और उन्हें बेल दे दी। बेंच ने कहा कि इस केस में निचली अदालत ने 10 साल में फैसला सुनाया और इस दौरान ये सभी लोग जमानत पर ही थे। लेकिन इनकी ओर से ऐसी कोई हरकत नहीं की गई, जिससे पीड़ितों के परिवारों को कोई परेशानी हो या फिर केस प्रभावित हो। ऐसे में इन्हें बेल दी जा सकती है क्योंकि इनके बाहर रहने पर किसी तरह के नुकसान की आशंका नहीं दिखती।

वहीं एससी-एसटी ऐक्ट में दोषी करार दिए गए इन लोगों के वकील ने कहा कि यह मामला 10 साल पुराना है। अब तो पीड़ित और ये लोग सभी घटना को भूल चुके हैं। फिलहाल दोनों ही पक्षों के परिवार और समाज के लोग शांति के साथ गांव में रहते हैं। इस पर बेंच ने भी सहमति दिखाई। इन्हीं तर्कों और तथ्यों के आधार पर बेल दे दी। बेंच ने कहा, 'सभी आरोपी ट्रायल के दौरान बेल पर थे। ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है कि इन लोगों ने बेल का गलत इस्तेमाल किया हो। पीड़ितों को जो चोटें आई हैं, वे सामान्य ही हैं। उनके जलाए हुए घरों की तस्वीरें भी सामने आई हैं। हमारी राय है कि निचली अदालत के फैसले पर विचार करने की जरूरत है और तब के लिए सजा को निलंबित किया जाता है।'

यह घटना 28 अगस्त, 2014 की है, जब कुछ दलितों को मारकुंबी गांव के सैलून और होटलों में एंट्री देने से मना कर दिया गया था। यह गांव कोप्पल जिले के गंगावटी तालुके में आता है। इसी दिन हिंसा भड़क गई थी और फिर आरोपी है कि कथित ऊंची जातियों के तमाम लोगों ने इन पर ईंट, पत्थर और डंडों से हमला बोल दिया था। इस दौरान बड़े पैमाने पर दलितों को पीटा गया था, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। यहां तक कि बुजुर्ग लोगों तक को पीटा गया और उनके घरों को आग के हवाले कर दिया गया था। इस मामले में 25 अक्टूबर को ही कोप्पल की जिला अदालत ने 101 लोगों को दोषी करार दिया था और उनमें से 98 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button