प्रयागराज में UPPSC ऑफिस के बाहर प्रोटेस्ट कर रहे 12 छात्रों पर FIR, अराजकता फैलाने का आरोप
प्रयागराज
प्रयागराज में यूपी लोक सेवा आयोग के बाहर चल रहे प्रोटेस्ट के दौरान सरकारी बैरियर व नामी कोचिंग का बोर्ड तोड़ने के आरोप में 12 लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है. इनमें दो नामजद और अन्य अज्ञात आरोपी हैं. इसके अलावा माहौल बिगाड़ने की कोशिश करने पर 10 को हिरासत में लिया गया है. देर रात तक उनसे पूछताछ की जाती रही. फिलहाल, छात्रों का धरना-प्रदर्शन तीसरे दिन भी जारी है.
दरअसल, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (Uttar Pradesh Public Service Commission) ने पीसीएस प्रीलिम्स 2024 और आरओ/एआरओ प्रीलिम्स 2023 परीक्षाओं को दो दिनों में, दो शिफ्ट में आयोजित करने का निर्णय लिया है. इस निर्णय का अभ्यर्थी पहले से विरोध कर रहे हैं. 11 नवंबर को फिर से इस फैसले के खिलाफ दिल्ली से लेकर यूपी तक अभ्यर्थी सड़कों पर उतर आए. वे 'वन डे वन एग्जाम' की मांग के साथ प्रोटेस्ट कर रहे हैं.
इस बीच प्रयागराज पुलिस कमिश्नरेट की सिविल लाइंस थाने में यूपी लोक सेवा आयोग के बाहर चल रहे विरोध प्रदर्शन के दौरान एक नामी प्राइवेट कोचिंग की होर्डिंग पोल पर चढ़कर फाड़ने के आरोप में दो नामजद और 10 अज्ञात लोगों के खिलाफ बीएनएस की अलग-अलग धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है. खुद सिविल लाइंस थाने के एसआई कृष्णा मुरारी ने मुकदमा दर्ज कराया है.
कोचिंग की होर्डिंग को फाड़ने और तोड़ने का वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने ये एफआईआर दर्ज की है. नामजद दोनों अभियुक्त अभिषेक शुक्ला और राघवेंद्र सहित 10 अज्ञात के खिलाफ तोड़फोड़ करने, सरकारी काम में बाधा डालने सहित कई धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ है. पुलिस अब वायरल वीडियो और CCTV के आधार पर अज्ञात युवकों की पहचान करने में जुटी है.
FIR के मुताबिक, इलाके में बीएनएसएस की धारा 163 लागू है. कुछ लोग तोड़फोड़ और उपद्रव जैसी गतिविधियों में शामिल होकर प्रतियोगी छात्रों के बीच अराजकता फैला रहे हैं.
गौरतलब हो कि प्रतियोगी छात्र 'वनडे वन शिफ्ट एग्जाम' और नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया खत्म करने की मांग कर रहे हैं. प्रतियोगी छात्रों का कहना है कि जब तक आयोग लिखित आश्वासन नहीं देता है, तब तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा. अभ्यर्थियों की मांग है कि परीक्षा एक दिन और एक शिफ्ट में कराई जाए.
वहीं, आयोग का कहना है कि हमारे पास इतने केंद्र (सेंटर) उपलब्ध नहीं हैं, जिसमें एक साथ 6 लाख अभ्यर्थियों का पेपर करवा सकें. सरकार एवं आयोग की मंशा छात्र हितों को संरक्षित करना एवं मेरिट के आधार पर चयन सुनिश्चित करना है. चयन प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी और स्टूडेंट्स हितों को ध्यान में रखते हुए निर्धारित की गई है. जबकि, छात्रों का तर्क है कि इससे पहले आयोग इससे ज्यादा छात्रों की परीक्षाएं करवाता आया है.