छत्तीसगड़

खंडहरों में तब्दील हुआ शिक्षक आवास, शिक्षा विभाग योजना से बेखबर

महासमुंद

ग्रामीण अंचलों में स्कूली बच्चों को बेहतर शिक्षा व्यवस्था मिल सके इसके सरकार की तरफ से शिक्षकों के लिए भी जरूरी सुविधाएं उपब्ध कराई जाती है. महासमुंद जिले के दूरस्थ गांव बांजीबहाल में भी स्थित स्कूल के शिक्षकों को भी आने-जाने में परेशानी न हो और शिक्षक स्कूल के पास रह कर ही बेहतर शिक्षा दे सकें, इसके लिए 2 साल पहले 5 शिक्षक आवास बनाए गए थे, लेकिन अब तक किसी भी शिक्षक को आवास आवंटित नहीं हुआ. इसके चलते शिक्षक आवास अब धीरे-धीरे कबाड़ में तब्दील होता जा रहा है.

बता दें, महासमुंद जिला आकांक्षी जिला होने के कारण मानव संसाधन विकास मंत्रालय (नई दिल्ली) की तरफ से समग्र शिक्षा योजना के तहत 2018-19 में बांजीबहाल में 31 लाख रुपये की लागत से पांच सिंगल BHK शिक्षक आवास बनवाए गए थे. ये आवास शासकीय पूर्व माध्यमिक सह हाई स्कूल से मात्र 200 मीटर की दूरी पर बने थे, ताकि दूरदराज के शिक्षक आसानी से स्कूल आ-जा सकें और बच्चों को अच्छी शिक्षा प्रदान कर सकें. लेकिन दो साल बाद भी इन आवासों का कोई उपयोग नहीं हो सका है.

आवास में बुनियादी सुविधाओं की कमी
शिक्षक आवास का निर्माण लोक निर्माण विभाग (PWD) ने किया था, और यह विभाग ने दो साल पहले शिक्षा विभाग को हैंडओवर कर दिया था. लेकिन आवास में बुनियादी सुविधाओं का भारी अभाव है. यहां पानी, बिजली की कोई व्यवस्था नहीं है और कई जगहों पर पानी की टंकियां टूट चुकी हैं. अब यह क्षेत्र जंगल में तब्दील हो चुका है, और घरों के दरवाजे व पाइपलाइन भी टूट चुकी हैं.

ग्रामीणों और सरपंच की चिंता
गांव के सरपंच और ग्रामीणों का कहना है कि आज तक यहां कोई भी शिक्षक नहीं आया है. यहां तक कि पानी की कोई व्यवस्था नहीं है और टंकियां भी उड़ चुकी हैं. इसके बावजूद शिक्षा विभाग ने इस मामले पर अब तक कोई कदम नहीं उठाया. सरपंच सरोज प्रधान और ग्रामीण चिरुटी साहू ने इस मामले पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अगर शिक्षक आवास का सही तरीके से उपयोग किया गया होता, तो यह ग्रामीण बच्चों के लिए एक बड़ी मदद हो सकती थी.

शिक्षा विभाग ने की जांच की बात
वहीं इस पूरे मामले पर शिक्षा विभाग के सहायक संचालक सतीश नायर ने कहा कि उन्हें इस योजना के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. उन्होंने आगे कहा, “आपके माध्यम से इस मामले की जानकारी मिली है, जिसके बाद मैंने विभागीय अधिकारियों से जानकारी ली है और इस पूरे मामले की जांच करवाई जाएगी.”

अब देखना यह होगा कि शिक्षा विभाग इस मामले में क्या कदम उठाता है और इन खाली पड़े आवासों का सही उपयोग कैसे सुनिश्चित किया जाएगा. फिलहाल, यह मामला स्थानीय प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button