मध्यप्रदेश

34 शब्दों के एक तार के बाद भोपाल बना भारत का हिस्सा, घुटने टेकने को मजबूर हुए नवाब

भोपाल

 भारत की आजादी के दौरान कई रियासत ऐसी थी, जिनका पाकिस्‍तानी प्रेम उफान मार रहा था और वे भारत में शामिल नहीं होना चाहती थी। हालांकि कुछ रियासतें स्वतंत्र रहने के पक्ष में थी। भोपाल भी इनमें से ही एक ऐसी रियासत थी, जो भारत में शामिल होने के पक्ष में नहीं थी। हालांकि तत्कालीन उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल के हस्तक्षेप और भोपाल के लोगों के विरोध के बाद 1 जून 1949 को भोपाल का भारत में विलय हुआ।

ऐसा चला था घटनाक्रम

दरअसल, भोपाल के नवाब हमीदुल्लाह खान पाकिस्तान के समर्थक थे, ऐसे में वे भारत में शामिल होने के पक्ष में नहीं थे और हैदराबाद की तरह ही भोपाल रियासत को स्वतंत्र रखना चाहते थे। हालांकि लार्ड माउंटबेटन ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया और 14 अगस्त 1947 तक इसको लेकर कोई फैसला नहीं हो पाया।

नवाब जिन्‍ना और नेहरु के थे दोस्त

पंडित जवाहल लाल नेहरु और जिन्‍ना नवाब के अच्‍छे दोस्‍त थे। जिन्‍ना ने नवाब को प्रस्‍ताव दिया कि वे पाकिस्‍तान आते हैं तो उन्‍हें वहां सेक्रेटरी जनरल पद दिया जाएगा। नवाब इसके लिए तैयार भी थे और इसके लिए उन्‍होंने बेटी आबिदा को भोपाल रियासत का शासक बनने के लिए कहा, लेकिन आबिदा ने इंकार कर दिया।

भोपाल में भड़का विरोध

मार्च 1948 में नवाब द्वारा भोपाल को स्वतंत्र रियासत घोषित करने और मई 1948 में भोपाल मंत्रिमंडल के गइन के बाद सियासत में विरोध भड़क गया। जिसे देखते हुए भोपाल मंत्रिमंडल में प्रधानमंत्री चतुरनारायाण मालवीय भी नवाब के विरोध में खड़े हो गए।

दिसंबर 1948 के दौरान डा शंकरदयाल शर्मा, भाई रतन कुमार गुप्ता जैसे नेताओं के नेतृत्व में भोपाल के भारत में विलय के लिए 'विलीनीकरण आंदोलन' की शुरुआत हुई। जिसके बाद कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया। वहीं जनवरी 1949 में डा शंकर दयाल शर्मा को भी जेल भेज दिया गया।

सरकार पटेल के पास पहुंचा तार

विरोध के बीच सकर संक्रांति के मेले में गोलीकांड हो गया जिसमें 10 लोगों की मौत हो गई। इस घटना के बाद कांग्रेस के प्रांतीय सदस्य बालकृष्ण गुप्ता ने सरदार पटेल को एक तार भेजकर हस्‍पक्षेप करने का अुनरोध किया। उन्‍होने तार में लिखा-

    ‘भोपाल राज्य के बोरास घाट में संक्रांति मेले में 14 जनवरी को गोली चली। 10 की मृत्यु हुई। 250 घायल हुए। कई लापता हैं। सशस्त्र पुलिस मृतकों के शव नहीं सौंप रही है। तत्काल हस्तक्षेप किया जाए। जांच बिठाई जाए, क्योंकि यहां जीवन असुरक्षित है।' -बालकृष्ण गुप्ता, प्रांतीय कांग्रेस सदस्य

भोपाल में चल रहे प्रदर्शन और गिरफ्तारियों के साथ तार मिलने के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल ने सख्त रुख अपनाया और नवाब को संदेश भेजा कि भोपाल स्‍वतंत्र नहीं बन सकता और इसे मध्य भारत का हिस्सा बनना होगा।

फिर भारत में मिला भोपाल

इन विरोध प्रदर्शनों के बावजूद नवाब नहीं माना और 29 जनवरी 1949 को नवाब ने मंत्रिमंडल को बर्खास्त कर सारे अधिकार अपने हाथ में ले लिए। हालांकि भोपाल में हो रहे प्रदर्शन और सरदार पटेल के दबाव के बाद नवाब हमीदुल्लाह खान ने 30 अप्रैल 1949 को विलीनीकरण के पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए और 1 जून 1949 को भोपाल भारत का अंग बन गया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button