
भोपाल, Realindianews.com। 30 मई को शनि जयंती और सौभाग्य देने वाली वट सावित्री अमावस्या रहेगी। इस दिन सोमवार होने से सोमवती अमावस्या का शुभ संयोग बन रहा है। इस दिन शनि देव अपनी ही राशि, कुंभ में रहेंगे। ज्योतिषियों का मत है कि ये योग शनि बाधा पीडि़तों के लिए खास है, जब वे शनि आराधना और असहायों की सेवा कर रोग और तमाम पीड़ाओं से मुक्ति पा सकते हैं। इस दिन महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखकर वट वृक्ष की परिक्रमा करती हैं। इसी दिन सोमवती अमावस्या पर्व होने से स्नान-दान का अक्षय पुण्य मिलेगा। इसके 15 दिन बाद यानी 14 जून को वट सावित्री पूर्णिमा भी महिलाओं के लिए खास रहेगी। वे व्रत रखकर अपने अखंड सौभाग्य के लिए प्रार्थना करेंगी। ज्येष्ठ में कई अन्य पर्व भी समृद्धि दिलाएंगे।
पति की दीर्घायु के लिए प्रार्थना
मैहर के ज्योतिषाचार्य पं. मोहन लाल द्विवेदी बताते हैं कि वट सावित्री अमावस्या सुहागिन महिलाओं के लिए खास दिन होता है। इसी दिन सावित्री ने पूजा से यमदेव को प्रसन्न कर अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा की थी। तभी से वट सावित्री अमावस्या व वट सावित्री पूर्णिमा मनाई जाने लगी। अमावस्या पर महिलाएं वटवृक्ष की जड़ में जल देकर तने पर कच्चा धागा लपेट कर 7, 11 या 21 परिक्रमा कर पति की दीर्घायु के लिए प्रार्थना करेंगी। पूजा में घर में बने पकवान चढ़ाए जाते हैं।
सोमवती अमावस्या का महत्व
इस संयोग पर पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। मंदिरों में दर्शन करना चाहिए। पूजा-पाठ और दान करना चाहिए। नदी में स्नान नहीं कर सकते तो घर पर पानी में गंगाजल मिलाकर नहाने से इसका पुण्य मिलेगा। सूर्य को अघ्र्य दें। स्नान के बाद जरूरतमंद लोगों को अनाज और गोशाला में धन, हरी घास का दान करें। अमावस्या पर पितरों के लिए धूप-ध्यान करें। हथेली में जल लें और अंगूठे की ओर से पितरों को अघ्र्य दें।
शनि जयंती पर क्या करें
मैहर के पं. मोहन लाल के मुताबिक ज्येष्ठ अमावस्या को शनिदेव का प्रकटोत्सव है। इनकी कृपा प्राप्ति का एक सहज उपाय यह है कि वृद्ध, रोगी, दिव्यांग व असहाय लोगों की सेवा करें। किसी प्रकार का व्यसन करते हों, तो उसे भी त्याग दें तो कष्टों का निवारण होने लगता है। शनि प्रतिमा पर सरसों का तेल, तिल चढ़ाकर अभिषेक व दान-पुण्य करें। आटे की गोली बनाकर तालाब में मछलियों के लिए डालें, शमी का पौधा घर में लगाएं और दान करें, जरूरतमंदों को भोजन, छाता, तेल, उड़द दाल और स्टील के बर्तन दान करें। वृद्धाश्रमों में जाकर जरूरत की वस्तुएं प्रदान करें।